लेखनी प्रतियोगिता -05-Feb-2022
*समर्पण*
++++++++
इश्क़ कभी शारीरिक नहीं होता,
ये तो दर्पण है रूह से मन का।
इश्क़ कभी व्यक्ति से नहीं होता,
ये तो समर्पण है ख़ुद के सफ़र का।
इश्क़ कभी विफल नहीं होता,
ये तो भाव है व्यक्तित्व के व्यवहार का।
इश्क़ कभी पाने कि ख्वाहिशें नहीं करता,
ये तो परवाह और प्यास है रूह का।
इश्क़ कभी पूरा मुकम्मल नहीं होता,
ये तो अनमोल हैं इंसान के आगे जीत का।
इश्क़ कभी पाना नहीं होता है,
ये तो जन्म जन्मांतर का बंधन है विश्वास का।
Sudhanshu pabdey
06-Feb-2022 10:01 AM
Very nice 👌
Reply
Zakirhusain Abbas Chougule
06-Feb-2022 01:02 AM
Nice
Reply
Swati chourasia
05-Feb-2022 08:21 PM
वाह बहुत ही खूबसूरत रचना 👌
Reply